Sunday, 29 December 2013

इक ये भी हिंदुस्तान है.




पुल पे भागती-दौड़ती ज़िन्दगी से परे,
एक ज़िन्दगी उन सड़को के नीचे भी बसती है,
जहाँ हर दिन जीवन इक जंग है,
जहां मौत जीवन से भी सस्ती है.

दुनिया की नजरो के सामने है मगर,
दिखती नहीं है दिन के उजालो में,
कभी रात में झाको उन खम्भों के नीचे,
लिपटी मिलेगी फटी हुई शालो में.

जहां रात को सपने भी आते है,
तो अगले दिन की थाल नज़र आती है,
विकास की इन सड़को के नीचे,
ये ज़िन्दगी क्यों नहीं खुशहाल नज़र आती है?

वहां ऊपर सरपट दौड़ती दुनिया है,
जो देख सड़क पे गड्ढे रोटी है,
यहाँ कैद खपच्ची की दीवारों में,
सर्द रात में नंगी धरती पे सोती है.

जहां कीचड़ में रेंगती है किलकारियां,
कैसे मानू वो देश महान है?
घोटालो और आन्दोलनों से अनभिज्ञ,
इक ये भी हिंदुस्तान है, इक ये भी हिंदुस्तान है. 

Monday, 16 December 2013

A Candle is all we light




The candles that were burning, have melted into dust,
Who was meant to be protected, stays exposed to rust,
She crumbles in a corner, helpless and crying,
The hand that rocks the cradle, in misery she is lying.
In misery it is dying.

She still walks the streets, ogled by the eyes,
She still boards the bus, amidst those lustful sighs,
She sits uncomfortably, him staring at her hungry,
Her day ends in relief, her soul restless and angry,
She tries to wash it off, in a shower every night,
And when she is devoured, a candle is all we light.
A candle is all we light.

The cycle keeps on going, we outrage and forget,
By walking holding candles, what closure do we get?
We slip back into life, with changes none at all,
She still lives in the danger; do the candles hear her call?
The water cannons and those bombs of tear gas,
Will something ever change, because nothing ever has?
Respect that she deserves, will she ever find?
The hand that rocks the cradle, has tears in her eyes,
Fighting it she survives.

The candles that we burn will melt back into dirt,
They don’t give her protection; don’t shield her from the hurt,
But we love tokenism, and that is how we fight,
In the name of revolution, a candle is all we light,
A candle is all we light.




Sunday, 27 October 2013

Wait for your death






Don’t step out of house,
Don’t go to the shop,
Stay away from the crowd,
Stay afraid round the clock,
No place is safe,
No heart feels free,
They have bombs in the bin,
Bombs tied to the tree,
One in the shop below,
One in the cycle stand,
One where you’re not,
And one where you stand,
Where will you hide?
Where will you sleep?
You’re destined to die,
You’re destined to weep.

What the government wants,
We should die in calm,
They dole out the cheques,
Adding salt in the balm,
They don’t care we live,
They don’t care we die,
They’ll do nothing,
They have their Z and Y,
And we common men,
Want to beg them please,
Don’t play politics,
On the dead and bereaved,
Please don’t go soft,
For the sake of your votes,
Make us feel secure,
We don’t need your notes.

But wait for your death,
Cause deaf rule the land,
Heads buried in sand,
So wait for your death,
Like caged in a zoo,
They don’t care for me and you.


Wednesday, 16 October 2013

वो मरा भला किसके लिए?


सोते है सब सोते है, आँखें अपनी मूँद कर,
सीना ठोके, गर्जन करे, अपनी सच्चाई भूल कर,
है खोखले, सारे कायर है, पर वीर गीत सब गाते है,
सरहद पे वीर मरा था जो, उसे भूल क्यों सारे जातें है.

हाँ मरा था वो मेरे लिए, हाँ मरा था वो तेरे लिए,
ये सोचता होगा बैठ कर, "मैं मरा भला किसके लिए?",
वो देखता होगा जन्नत से, और जार-जार रोता होगा,
वो मरा था जिसके भी लिए, अफ़सोस उसे होता होगा,
थे अत्याचार सहे उसने, आँखें दुश्मन ने फोड़ दी,
माँ की गोदी में सोने की उम्मीद भी होगी छोड़ दी,
दुश्मन ने उस रणवीर को, शत-विशत कर के लौटाया था,
पढ़ के अखबार में उस पल तो, हम सबको गुस्सा आया था,
फिर गुस्सा सारा दफ़न हुआ, हम खो गए चौको-छक्को में,
चादर ओढे बेशर्मी की, सो गए फ़िल्मी लटको-झटको में,
खद्दर ने वादे बहुत किये, इक बाप की चप्पल घिसती गयी,
बेशर्म, बेहया देश के मन से, कुर्बानी उसकी मिटती गयी,
कोई विश्व-कप जीता हमने, सड़को पे देश था झूम रहा,
वो बाप घुटा सा वादों में, अंधेरो में अब भी घूम रहा,
चौदह बरस दफ़न हो गए, अरे राम भी घर आ जायेंगे,
हिजड़ो के इस देश में पर, कभी वीर इन्साफ न पायेंगे.

Read these links and if you are an Indian, hang your head in shame.
Shameless Indian Govt loves pakistan more than its own martyr, refuses to raise issue on international level

Wikipedia- Captain Saurabh Kalia

Tuesday, 8 October 2013

मेरे पिताजी




तुम मेरे भगवान् हो, तुम्ही इष्ट देव हो,
जिसकी छाव में पला, हां तुम्ही वो पेड़ हो.

हाँ बड़ा डरता था मै पिताजी आप से,
आप ही के डर से मै दूर रहा पाप से,
बिन डरे जहां से, आप ही की छाव में,
निर्भीक, मै निडर रहा दुनिया के वैर-भाव से,
डांट में, मार में, आपके था स्नेह भरा,
पाठ ज़िन्दगी का आप ही से मैंने है पड़ा,
गर पड़ी जो मुश्किलें, आप न कभी रुके,
ईमान सर्वोपर्री, आप न कभी झुके,
आप से ही सीख कर आज जुंग मई करू,
आप ही का नाम लू, जब कभी भी मै डरूं,
आपको गर्व हो, कर्म वो करूँगा मैं,
आपके बुढ़ापे की लाठी बनूँगा मैं.

उम्र ढल रही है अब, माना आप थक रहे,
मेरे जिगर में आपके विचार पर धधक रहे,
ये आप ही की सीख है, ये आप ही के पाठ है,
पहाड़ हो या खाई हो, मेरे लिए सपाट हैं,
आप ही का अक्स हूँ, आप सा ईमान है,
घर ही मेरा तीर्थ है, आप ही भगवान् है.