Wednesday, 5 November 2014

फिर बहेगा रायता



बच्चा लोग बजाओ ताली, फिर सर्कस आया है,
मफलर वाले बाबा ने फिर से बिगुल बजाया है,
फिर चलेंगे चप्पल-चांटे, फिर उड़ेगी स्याही,
टोपी सेना फिर निकलेगी करने चंदा उगाही,
फिर से होंगे धरने जमकर, फिर दिल्ली रेंगेगी,
लोट-पोट करने वाला नाटक दुनिया देखेंगी,
फिर से खुलेंगा झूठे सिद्धांतों का पिटारा,
फिर सड़कों पे दौड़ेगी वो नीली खटारा,
फिर से होंगे दावे ढेरो, मुफ्त बिजली और पानी,
फिर से पड़ेगी बच्चो की झूठी कसमें खानी,
फिर टीवी पे होंगे साक्षात्कार क्रांतिकारी,
फिर ट्विटर पे चीखेंगे उनके बीस हजारी,
होटल अमन के गलियारों में फिर से होंगी बाते,
'झाड़ू' थामे निकलेंगी फिर से 'हाथ' की रातें,
पद का लोभी गली मोहल्ले जा जा के खासेंगा,
क्या एक बार फिर दिल्ली की जनता को वो फासेगा?
फिर बहेंगा रायता, फिर होगा दिमाग का दही,
उनन्चास दिनों का धोखा खा क्या दिल्ली चुनेगी सही?



1 comment:

  1. हाहाहा क्या बात है कविराज! लाजवाब!

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