चित्रों में कथा सुनाता था,
शब्दों में जादू रचता था,
कुछ ऐसे दिए किरदार उसने,
हर बचपन में वो बसता था,
कभी बिल्लू की बदमाशी में,
कभी पिंकी की शैतानी में,
कभी साबू के गुस्से में,
एक हँसी वो रचता था,
हीरे के जैसी थी उसकी,
हर रचना चमचमाती सी,
कंप्यूटर से तेज़ दिमाग के जो,
किस्से बन के बरसता था,
हाँ चला गया इस दुनिया से,
देकर खुशिया कितनी सारी,
वो चित्रकार, वो कथाकार,
जिस पढ़ भारतवर्ष हँसता था।
A collection of my poems for you to read and ponder. If you don't get the message, the moral embedded in my words then either I have failed as a poet or you have failed as a human.
Thursday, 7 August 2014
प्राण(a tribute to a great man)
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diamond comics,
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