Sunday, 27 April 2014

Let it rain





Let it rain,
O clouds! I am parched,
You shadow my sky,
I stand crumpled and starched,
I gaze at thee,
My lips wrinkled and chapped,
It has been a while,
I have showered and clapped,
Why do you mock?
This thirsty skin I wear,
You roar and laugh,
As I try to save my tears,
Where were you gone?
It has been too long, I’ve smiled,
Let it rain,
In your wait dreams have died,
Let it rain,
The wells, the ponds are frying,
The land is grieving helpless,
As the baby crops are dying,
Let it rain,
O clouds! Only you we trust,
The life is dry and wrinkled,
As our masters scrape our crust.

Thursday, 17 April 2014

In search of mythical bliss



Living life in doses,
Smiling but in parts,
Chasing a shadow,
Reaching for the stars,
Missing out on moments,
Which define our breathing,
In search of something,
Where are we speeding?
Going round in circles,
Never reaching end,
Racing towards nothing,
Till death makes us bend.

Eating; not tasting,
Mind so preoccupied,
Burning midnight oil,
Even the darkness cried,
Measuring our success,
In terms of printed paper,
Following mirages,
While life begins to taper,
Setting out to conquer,
What doesn’t even exist,
We all are just racing,
In search of mythical bliss.






Sunday, 6 April 2014

बहुत क्रांतिकारी....बहुत ही क्रांतिकारी





सुना था हमने हर शख्स का एक मोल होता है,
हर क्रान्ति के पीछे, गहरा सा झोल होता है,
फिर क्यों भस्म कर देती है, मशालें ये मति हमारी,
बहुत क्रांतिकारी....बहुत ही क्रांतिकारी.

बदलाव के सपने बिकते है, उमीदों के बाज़ार में,
वो ख्वाब दिखा के ठगते है, रम जाते है व्यापार में,
लोकतंत्र के हाट में फिर लगती है बोली हमारी,
बहुत क्रांतिकारी....बहुत ही क्रांतिकारी.

देशप्रेम के नाम पे हमको टोपी वो पहनाते है,
धर्म का आंटा गूथने, गंगा में दुबकी लगाते है,
और अज़ान के समय रोक देते है रैली सारी,
बहुत क्रांतिकारी....बहुत ही क्रांतिकारी.

परदे के पीछे पत्रकारों से खुसुर-पुसुर करते,
परदे के आगे उन्ही से धमकियों में बातें करते,
पल-प्रतिपल पलटी पे पलटी न जाने कितनी मारी,
बहुत क्रांतिकारी....बहुत ही क्रांतिकारी.

आम आदमी को भूले, लगे खोजने लोग ये ख़ास,
गांधी के पोते कही, कही फिल्म सितारों की जमात,
उन्चास दिनों में सीख ली, क्या खूब इन्होने मक्कारी,
बहुत क्रांतिकारी....बहुत ही क्रांतिकारी.

बस बहुत अब हो चुका, ये देश तुम्ही ने जगाया था,
तेरे झूठ को बक्शेंगे, ये सोच तू कैसे पाया था?
तेरी मशाल से ही कर देंगे, भस्म ये लंका तुम्हारी,
हम है क्रांतिकारी...हाँ हम है क्रांतिकारी.