Friday, 26 July 2013

Mid Day Meal Murder


No kid we don’t care,
Don’t bother with your meal,
Take bread with air & water,
Your hunger we don’t feel,
And yes we will play politics,
Your death is just a tool,
Cause we all are grave robbers,
Your health we have to steal.

The food may rot and smell,
But that is all you’ll get,
The lizards in your rice,
Still don’t make me fret,
So gulp it down with water,
No we can’t hear you cry,
Ring the bell, serve the kids,
Eat the meal and die!!



Wednesday, 24 July 2013

The Writer's Block

"There are times when one tries to write and cannot come up with anything worthwhile. It is popularly known as 'THE WRITER'S BLOCK'. Since past week or so I have been facing that same dreaded problem. So to counter it I decided to write one on this problem itself. Tried to put into words exactly the frustration I am going through. Hope that this finally cures my block."





Tick Tock! Tick Tock!
Watching the clock,
Fiddling with pen,
Facing the block.

Inking the pages,
Crumpling them all,
Tossing them over,
Like basket ball.

Train of the thoughts,
Ramming the wall,
The writer within,
You cannot recall.

Writing a line,
Scratching it clean,
Can’t put to words,
Sights you have seen.

Tick Tock! Tick Tock!
Flies away time,
Pacing the hall,
For a single line.

The pen is asleep,
But sleep you cannot,
Restless, breathless,
Connecting the dots.

Wandering, fearing,
Is it the end?
The pen seems broken,
Will it ever mend?


Monday, 8 July 2013

जागों भारत जागों


उठो रे बंधू, आँखें खोलो, ये इतवार नहीं है,
उठो रे बहना, निद्रा तोड़ो, ये त्यौहार नहीं है,
जागो, बाहर निकलो, पूरी कर लो ज़िम्मेदारी,
एक बटन में छुपी हुई है, किस्मत तेरी सारी,
जाओ जाके बटन दबाओं, कस के चोट करो,
देखभाल के, ठोक बजा के, अबकी वोट करो.

अब न बिकना चंद रुपए में, न पीना दारु देशी,
त्याग प्रलोभन, सोच समझ, करो भ्रष्ट की ऐसी-तैसी,
लैपटॉप और मुफ्त के टीवी पड़ जातें है भारी,
तुम्ही को बाटे, चुपके से काटें ये जेब तुम्हारी,
लालच के इन खंभों पे अबकी समझ की चोट करो,
निकलो घर से, जागो! और जाके वोट करो.

धर्म-जात के नाम पे तुमने बहुत किया मतदान,
अबकी उसको ही चुनना जो हो सच्चा इंसान,
परिवारवाद की जंजीरों के बन्धनों से भागो,
है लोकतंत्र ये, राजतंत्र के चाटुकारों को त्यागो,
घायल देश पड़ा है उसपे अब न चोट करो,
निकलो घर से, आँखें खोलो! जाके वोट करो.

लाठी और बन्दूक के भय से बस अब दबना छोड़ो,
मुहँ पे जड़े हुए जो ताले, मार हथौड़ा तोड़ो,
मौत शाश्वत सत्य है फिर क्यों, घुट-घुट के यो जीना?
बाहर निकलो हक आजमाओं, चौड़ा कर के सीना,
खादी की गुंडागर्दी पर अब हँस के चोट करो,
निकलो घर से बाँध कफ़न और जाके वोट करो.

वोट करो और देश बचालो, ताकत है ये तेरी,
गर चूक गए तो पांच साल फिर झेलना हेरा-फेरी,
फिर मत कहना घर पे बैठे, की भ्रष्टाचार बहुत है,
फिर मत रोना घुनते-घुनते, की अत्याचार बहुत है,
है हाथ में तेरे ताकत, बेइमानो पे चोट करो,
निकलो घर से, भारत जागो! जाके वोट करो.


Friday, 5 July 2013

जग गए है दाग देंगे गोलिया सवाल से


हां पड़े थे सो रहे, न जाने कितने साल से,
सिल रहे थे तुम गलीचे, हाँ हमारी खाल से,
थे डरे शिथिल शिथिल, ज़िन्दगी को धो रहे,
जग गए है दाग देंगे गोलिया सवाल से!

बाढ़ हो, अकाल हो, लू चले या हिम गिरे,
बाँध के कफ़न निकल पड़े है, हम है सिरफिरे,
आम आदमी है पर ख़ास अपनी जंग है,
क्यों भला उड़ा-उड़ा धूर्त तेरा रंग है?
बाँध न सकेगा तू, हम तो ऐसी बाढ़ है,
सुन ले कान खोल के ये सत्य की दहाड़ है,
अब फसेंगे ना तेरी, तिकड़मो के जाल में,
जग गए है दाग देंगे गोलियां सवाल से!

वो किलों में जो दफ़न, हाँ हमारी लाश है,
धुल करके जायेंगे, तुम्हारा हम विनाश है,
है कदम जो उठ गए, थमेंगे न बवाल से,
जग गए है दाग देंगे गोलियां सवाल से!

छुप सके तो छुप ले, हम ढूँढ कर के लायेंगे,
जुर्म तूने कर लिए, हम सज़ा सुनायेंगे,
न चलेगी अब तेरी, वक़्त है इन्साफ का,
हिसाब लेने आयें है, एक-एक घाव का,
मातृभूमि रो रही, खौलता लहू कहे,
अब धरा पे या तो हम, या के भ्रष्ट तू रहे,
तू हिला सकेंगे न, अडिग वो हम पहाड़ है,
सुनले कान खोल के ये सत्य की दहाड़ है.
जीत लोगे, सोच ये निकाल दो ख़याल से,
जग गए है दाग देंगे गोलियां सवाल से!

राम का, रहीम का, बौद्ध का या फिर गुरु,
नाम लेके इशु का जंग होती ये शुरू,
अब बटेंगे हम नहीं धर्म के बवाल से,
जग गए है दाग देंगे गोलियां सवाल से!
जग गए है दाग देंगे गोलियां सवाल से!!