सिर्फ दीपक नही जलवाया है.
12 दिवस से घर मे बंद,
थक रही थी जनता तंग,
बाहर निकलो तो महामारी,
अंदर उबासी और लाचारी,
मौत के बढ़ते भय को मन से सबके मिटाया है,
सिर्फ दीपक नही जलवाया है।
सिर्फ दीपक नही जलवाया है,
गाव के नुक्कड़, शहर के मॉल,
सब सन्नाटा, सब बेहाल,
टीवी पर बिकती ढेर हताशा,
जीवन ठहरा, घोर निराशा,
डूब रहे सूरज को तुमने रात में भी जगवाया है,
सिर्फ दीपक नही जलवाया है।
सिर्फ दीपक नही जलवाया है,
पूरे विश्व मे त्राहि त्राहि,
तांडव करती मृत्यु आयी,
पर भारत मे गज़ब नज़ारे,
धरती पर जगमग करते तारे,
आशावान बना दे सबको, ऐसा दृश्य दिखाया है,
सिर्फ दीपक नही जलवाया है
- © archwordsmith